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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है'
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है <br>न शो'ले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा तुम्हीं कहो कोई बताओ कि ये अंदाज़-एवो शोखे-गुफ़्तगू तुंदख़ू क्या है <br><br>
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा <br>कोई बताओ रश्क है कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या होता है हमसुख़न तुमसे वगर्ना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़ीए-अ़दू<brref>दुश्मन के सिखाने-पढ़ाने का डर<br/ref>क्या है
ये रश्क चिपक रहा है कि वो होता है हमसुख़न हमसे <br>बदन पर लहू से पैराहन वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ीहमारी जैब को अब हाजत-ए-अदू रफ़ू क्या है <br><br>
चिपक रहा जला है बदन पर लहू से पैराहन <br>जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा हमारी ज़ेब को कुरेदते हो जो अब हाजत-ए-रफ़ू राख, जुस्तजू क्या है <br><br>
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा <br>रगों में दौड़ने-फिरने के हम नहीं क़ायल कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू जब आँख ही से न टपका, तो फिर लहू क्या है <br><br>
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल <br>वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़ जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है सिवाए वादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू<brref>सुगंधित शराब<br/ref>क्या है
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़ <br>पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार सिवाए बादाये शीशा--गुल्फ़ामक़दह--मुश्कबू क्या है कूज़ा-ओ-सुबू<brref>बोतल, प्याला, मधु-पात्र और मधु-कलश<br/ref>क्या है
पियूँ शराब रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर ख़ुम हो भी देख लूँ दो चार <br>ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है <br><br>
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी <br>तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है <br><br> बना हुआ है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता <br>वगर्ना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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