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[[Category:ग़ज़ल]]
ग़ैर ले महफ़िल में, बोसे जाम के <br>
हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के <br>
दिल को आँखों ने फँसाया क्या मगर <br>
ये भी हल्क़े हैं तुम्हारे दाम के <br><br>
शाह की के है ग़ुस्ल-ए-सेहत की को ख़बर <br>देखिये , कब दिन कब फिरें हम्माम के <br><br>
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया <br>
वरना हम भी आदमी थे काम के<br><br>