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ख़ामोशी / नीलेश रघुवंशी

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|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
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बिस्तरबंद कसते तुम्हारे हाथ
 
मुट्ठी में जकड़ी शर्ट
 
आग में तपता तुम्हारा चेहरा
 
तपन को अन्दर समेटती मैं
 
तुम्हारी ढीली मुस्कान
 
मेरी कसी निगाहें
 
भागती बस
 
शीशे से झाँकती मैं।
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