भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=पंजाबी }} <poem> बत्ती बाल क…
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=पंजाबी
}}
<poem>
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं-
ग़ली भूल ना जावे चन मेरा ,
हाय नी, बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं
ओस्नूँ ना चंगी तरां गली दी पहचान ऐ
रात हनेरी मेरा माही अनजान ऐ .....
बुहा खोल के,
हाय नी बुहा खोल के, में चोरी चोरी तकनी आं-
ओनूं पूछना पवे न घर मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं.
कुट कुट चूरी मैं चन लई रखदियाँ
दुध नू उबाल के ते झलनियां पखियां,
घड़ी बैठ्नियाँ, घड़ी उठ उठ नचनियां,
अग्गे लंग न जावे चन मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
फेरियां मैं कंघियां ते कज्जल वी लाया ऐ
अजे वी प्रोहुने ने नयियों बुहा खडकाया ऐ
नी मैं अखियन बूहे दे वाल रखनियां.
आके मूढ़ ना जावे माही मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
गली भूल ना जावे चन मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
</poem>
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=पंजाबी
}}
<poem>
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं-
ग़ली भूल ना जावे चन मेरा ,
हाय नी, बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं
ओस्नूँ ना चंगी तरां गली दी पहचान ऐ
रात हनेरी मेरा माही अनजान ऐ .....
बुहा खोल के,
हाय नी बुहा खोल के, में चोरी चोरी तकनी आं-
ओनूं पूछना पवे न घर मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं.
कुट कुट चूरी मैं चन लई रखदियाँ
दुध नू उबाल के ते झलनियां पखियां,
घड़ी बैठ्नियाँ, घड़ी उठ उठ नचनियां,
अग्गे लंग न जावे चन मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
फेरियां मैं कंघियां ते कज्जल वी लाया ऐ
अजे वी प्रोहुने ने नयियों बुहा खडकाया ऐ
नी मैं अखियन बूहे दे वाल रखनियां.
आके मूढ़ ना जावे माही मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
गली भूल ना जावे चन मेरा ,
हाय नी,
बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनियां.
</poem>