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वां वो फ़रक़े-नाज़<ref>कोमल सिर</ref> महवे-बालिशे-कमख़्वाब<ref>कीमख़ाब के तकिए पर सोया हुआ</ref> था
यां नफ़स करता था रौशन शम्अ-ए-बज़मे-बेख़ुदी<ref>मस्ती की सभा की शमआ़</ref>जल्वा-ए-गुल वां बिसाते-सोहबते-अहबाब <ref>एकत्र मित्रों का बिछावन</ref> था
फ़रश से ता-अरश वां तूफ़ां था मौजेमौज<ref>लहर</ref>-ए-रंग का यां ज़मीं से आस्मां तक सोख़्तन <ref>जलना</ref> का बाब <ref>हालत</ref> था
नागहां <ref>सहसा</ref> इस रनग रंग से ख़ूं-नाबह नाबा<ref>खून की बूंदे</ref> टपकाने लगा दिल कि ज़ौक़-ए -काविश-ए -नाख़ुन <ref>नाख़ून की कुरेद का मज़ा</ref> से लज़ज़तलज़्ज़त-याब <ref>आनन्दित</ref> था
नाला<ref>आह</ref>-ए-दिल में शब अन्दाज़-ए-असर नायाब था
था सिपन्द<ref>एक काला दाना जो आग में गिरकर आवाज़ देता है</ref>-ए-बज़्म-ए-वस्ल-ए-ग़ैर<ref>प्रतिद्वंदी की मिलन-सभा</ref>, गो बेताब था
नाज़िश-ए-अय्याम-ए ख़ाकस्तर-नशीनी<ref>धरती पर बैठ कर बिताए दिनों का गर्व</ref> क्या कहूं
पहलूए-अन्देशा<ref>चिंतन की गोद</ref> वक़्फ़<ref>आराम</ref>-ए-बिस्तर-ए-संजाब<ref>मखमल</ref> था
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