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वां वो फ़रक़े-नाज़<ref>कोमल सिर</ref> महवे-बालिशे-कमख़्वाब<ref>कीमख़ाब के तकिए पर सोया हुआ</ref> था
यां नफ़स करता था रौशन शम्अ-ए-बज़मे-बेख़ुदी<ref>मस्ती की सभा की शमआ़</ref>जल्वा-ए-गुल वां बिसाते-सोहबते-अहबाब <ref>एकत्र मित्रों का बिछावन</ref> था
फ़रश से ता-अरश वां तूफ़ां था मौजेमौज<ref>लहर</ref>-ए-रंग का यां ज़मीं से आस्मां तक सोख़्तन <ref>जलना</ref> का बाब <ref>हालत</ref> था
नागहां <ref>सहसा</ref> इस रनग रंग से ख़ूं-नाबह नाबा<ref>खून की बूंदे</ref> टपकाने लगा दिल कि ज़ौक़-ए -काविश-ए -नाख़ुन <ref>नाख़ून की कुरेद का मज़ा</ref> से लज़ज़तलज़्ज़त-याब <ref>आनन्दित</ref> था
नाला<ref>आह</ref>-ए-दिल में शब अन्दाज़-ए-असर नायाब था
था सिपन्द<ref>एक काला दाना जो आग में गिरकर आवाज़ देता है</ref>-ए-बज़्म-ए-वस्ल-ए-ग़ैर<ref>प्रतिद्वंदी की मिलन-सभा</ref>, गो बेताब था
नालहमक़दम-ए -सैलाब<ref>बाढ़ का स्वागत</ref> से दिल में शब अनदाज़क्या निशात-ए असर नायाब था आहंग<ref>आनन्दित</ref> है था सिपनदख़ाना-ए बज़म-आशिक़<ref>प्रेमी का घर</ref> मगर साज़-ए वसल-सदा-ए ग़ैर गो बेताब -आब<ref>पानी का बाजा</ref> था
नाज़िश-ए-अय्याम-ए ख़ाकस्तर-नशीनी<ref>धरती पर बैठ कर बिताए दिनों का गर्व</ref> क्या कहूं
पहलूए-अन्देशा<ref>चिंतन की गोद</ref> वक़्फ़<ref>आराम</ref>-ए-बिस्तर-ए-संजाब<ref>मखमल</ref> था
मक़दमकुछ न की अपने जुनून-ए सैलाब से दिल कया नशात-आहनग है नारसा ने, वरना यां ख़ानहज़र्रा-ए `आशिक़ मगर साज़ज़र्रा<ref>कण-कण</ref> रूकश-ए सदा-ख़ुर्शीद-ए आब -आलम-तान<ref>सूरज से ईर्ष्या</ref> था
नाज़िश-ए अययाम-ए ख़ाकिसतर-निशीनी कया कहूं आज क्यों परवा नहीं अपने असीरों<ref>कैदीयों</ref> की तुझे पहलू-ए अनदेशह वक़फ़कल तलक तेरा भी दिल मेहर-ए बिसतर-ए सनजाब वफ़ा<ref>प्रेम</ref> का बाब<ref>स्रोत</ref> था
कुछ न की अपनी जुनूनयाद कर वह दिन कि हर इक हल्क़ा तेरा दाम<ref>जाल</ref> का इन्तज़ार-ए ना-रसा ने वरनह यां ज़ररह ज़ररह रू-कश-ए ख़वुरशीदसैद<ref>शिकार की प्रतीक्षा</ref> में इक दीदा-ए `आलम-ताब बेख़्वाब<ref>उनींदे नेत्र</ref> था
आज कयूं परवा नहीं अपने असीरों की तुझे कल तलक तेरा भी दिल मिहर-ओ-वफ़ा का बाब था याद कर वह दिन कि हर इक हलक़ह तेरा दाम का इनतिज़ार-ए सैद में इक दीदह-ए बे-ख़वाब था मैं ने रोका रात ग़ालिब को वगरनह वगरना देखते उस के उसके सैल-ए गिरयह -गिरयां<ref>आंसुओं की बाढ़</ref> में गरदूं <ref>आसमान</ref> कफ़-ए -सैलाब <ref>बाढ़ की झाग</ref> था
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