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कालांतर में
टूटे चश्में चश्मे के बचे काँच से
कागज़ तलाश कर
अर्जी लिखवाने भी आना है अभी
तुम फिर भी कहते हो - चलूँ!
 
और यह जो लावारिस कुत्ता
दो रोटी मिलने के दिन से ही
::::संभव नहीं मेरे लिए
और
अनुमति तो ली ही नहीं - पिता से,
::::दुखते घुटनों चल
::::घाट तक कैसे जाएंगेजाएँगे --वे?
मैं चल तो दूँ
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