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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>नहीं , कि मुझको क़यामत का एतिक़ाद नहीं <brref>विश्वास</ref> नहीं शब-ए-फ़िराक़ <ref>वियोग की रात</ref> से रोज़-ए-जज़ा <ref>क़यामत का दिन</ref> ज़ियाद नहीं<brref>अधिक<br/ref> नहीं
कोई कहे कहें कि शब-ए-मह <ref>चाँदनी रात</ref> में क्या बुराई है <br>बला से , आज अगर दिन को अब्र-ओ-बाद नहीं <brref>घटाएं और हवाएं<br/ref>नहीं
जो आऊँ सामने उन के उनके, तो मरहबा <ref>शुभ-आगमन</ref> न कहें <br>जो जाऊँ वाँ वां से कहीं को, तो ख़ैरबाद नहीं <br><br>
कभी जो याद भी आता हूँ मैं तो कहते हैं <br>के कि आज बज़्म में कुछ फ़ित्ना-ओ-फ़साद नहीं <br><br>
अलावा ईद के मिलती है और दिन भी शराब गदा<brref>भिखारी</ref>गदा-ए-कूचा-ए-मैख़ाना नामुराद नहीं <br><br>
तुम उन के उनके वादे का ज़िक्र उन से क्यूँ उनसे क्यों करो "ग़ालिब" <br>ये क्या के कि तुम कहो , और वो कहें के याद नहीं <br><br/poem>{{KKMeaning}}