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एक बात / अली सरदार जाफ़री

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एक बात
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इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है
इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है
वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला<ref>सौ वर्ष वाली अग्नि</ref> बनी
ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों पे क्या गुज़रेगी
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