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Kavita Kosh से
तेरे सर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref>
क़यामत के फ़ित्ने <ref>उपद्रव</ref> को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref>