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विचित्र सभा / रघुवीर सहाय

1 byte removed, 19:04, 7 मार्च 2010
मैं बहुत अर्थ भरे स्वर में कहता हूँ आप ही की तरफ़
अर्थात मैं जो कर रहा हूँ देश के हित में
:::::::और आपके हित में कर रहा हूँ<
आप हमें स्वाकारें
रघुपति विस्मय में पड़कर मुझे एक क्षण देखते हैं
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