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|रचनाकार=रघुवीर सहाय|संग्रह=लोग भूल गये हैं / रघुवीर सहाय
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जब तुम बच्ची थीं
तो
मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता था
अब तुम रोती हो
तो
देखता हूँ मैं !
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