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किते चोर बने किते काज़ी हो / बुल्ले शाह
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14:39, 8 मार्च 2010
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<poem>
कहीं आप चोर हैं, कहीं क़ाज़ी हैं,
कहीं मंच पर चढ़े प्रचारक हैं,
और कहीं शहीद गुरु तेगबहादुर हैं,
आप अपनी सेना स्वयं बनाते हैं,
अब आप स्वयं को किससे छुपा रहे हैं।
'''मूल पंजाबी पाठ'''
अनिल जनविजय
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