भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[छिड़के है शबनम आईना-ए-बर्ग-ए-गुल पर आब / ग़ालिब]]
* [[आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे / ग़ालिब]]
* [[शोले से शबनम ब-गुल-ए-लाला न होती हवसेख़ाली ज़-शोला ने जो की अदा है / ग़ालिब]]
* [[मंज़ूर थी ये शक्ल तजल्ली को नूर की / ग़ालिब]]
* [[ग़म खाने में बोदा दिले-नाकाम बहुत है / ग़ालिब]]
* [[मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किये हुए / ग़ालिब]]
* [[रहा बला में भी मुब्तिलाए-आफ़ते-रश्क / ग़ालिब]]