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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2> <font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td> '''शीर्षक : औरत की ज़िन्दगी भूख <br> '''रचनाकार:''' [[रघुवीर सहाय मासूम गाज़ियाबादी ]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
भूख इन्सान के रिश्तों को मिटा देती है।
करके नंगा ये सरे आम नचा देती है।।
आप इन्सानी जफ़ाओं का गिला करते हैं।
रुह भी ज़िस्म को इक रोज़ दग़ा देती है।।
कितनी मज़बूर है वो माँ जो मशक़्क़त करके।
दूध क्या ख़ून भी छाती का सुखा देती है।।
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</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>