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डाची वालेया मोड़ मुहाल वे
सोहणी वालिया लै चल नाल वे ,

डाची वालेया मोड़ मुहार वे...सोहणी...
तेरी डाची ते गल विच टलीयां

नी वे मैं पीर मनावन चलीयां
तेरी डाची दी सोहनी चाल वे ,

ओये -डाची वालेया मोड़ मुहाल वे
तेरी डाची थल्लन नू चीरनी

वे मैं पीरन नू सुखनी खीरनी,
आके तक जा सदा हाल वे,

ओये डाची वालिया मोड़ मुहार वे
तेरी डाची दे चुम्नीयां पैर वे

तेरे सिर दी मंगनीयां खैर वे,
साडी जिंदगी नू एन्ज न गाल वे,

ओये डाची वालिया मोड़ मुहार वे
तेरी डाची तों सदके मैं जानीयां,

पंजा पीरन नू पई मनौनिआँ.
सुखां सुखनिआँ तेरियां लाल वे,

ओये डाची वालिया मोड़ मुहार वे
सोहणी वालिया लै चल नाल वे
</poem>