भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रिश्ते / संध्या पेडणेकर

42 bytes added, 15:25, 16 मार्च 2010
{{KKGlobal}}
{{रिश्ते KKRachna| रचनाकार=संध्या पेडणेकर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}
<poem>
स्नेह नहीं
खाली घड़े हैं
अनंत पड़े हैं
उनके अन्दर व्याप्त अन्धःकारअन्धकार
उथला है पर
पार नहीं पा सकते उससे
अन्धःकार अन्धकार से परे कुछ नहीं
उजास एक आभास है
क्षितिज कोई नहीं
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits