भरे थे चाँद से
दमक रहा था उसका सुडौल निर्वसन शरीर
कानों के गह्वर गहवर में भरती जाती थी पीली हवा
चाँद की रोशनी में पीले हुए जाते थे मेरे जूते
चाँदनी में जैसे हर कोई हो जाना चाहता हो निर्वसन
कसमसाने लगे मेरे वस्त्र
वह ऎंठ ऐंठ रही थी चट्टान मुड़ते-मुड़ते
मेरे होंठों पर झुक आई
पीली हवा और चाँदनी में