|रचनाकार=जावेद अख़्तर
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[[Category:ग़ज़ल]]<poem>क्यों डरें जिन्देगी ज़िन्दगी में क्या होगा कुछ ना होगा तो तजरूबा तज़रूबा होगा
हँसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आँसू कहीं छुपा होगा
इन दिनों ना -उम्मीद सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा
देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा
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