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हर ख़ुशी में कोई कमी सी है / जावेद अख़्तर
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14:06, 30 मार्च 2010
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हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है
किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़ेहन
ज़हन
और दिल में फिर ठनी-सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
Sandeep Sethi
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