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हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है
किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़ेहन ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
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