Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर' |संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
आए कंसराइ के पठाए वे प्रतच्छ तुम
::लागत अलच्छ कुबजा के पच्छवारे हौ ।
कहै रतनाकर बियोग लाइ लाई उन
::तुम जोग बात के बवंडर पसारे हौ ॥
कोऊ अबलानि पै न ढरकि ढरारे होत
::मधुपुरवारे सब एकै ढार ढारे हौ ।
लै गए अक्रूर क्रूर तन तैं छुड़ाइ हाय
::ऊधौ तुम मन तैं छुड़ावन पधारे हौ ॥77॥
</poem>
916
edits