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जब इरादा करके हम निकले हैं मंज़िल की तरफ़/ सतपाल 'ख़याल'
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07:31, 3 अप्रैल 2010
जब इरादा करके हम निकले हैं मंज़िल की तरफ़
खुद ही तूफ़ाँ ले गया कश्ती को साहिल की तरफ़
बिजलियाँ चमकी तो हमको रास्ता दिखने लगा
हम अँधेरे में बढ़े ऐसे भी मंज़िल की तरफ
Satpal khayal
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