भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डा० जगदीश व्योम}}{{KKCatNavgeet}}<poem>
चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाएँ !
चलो फिर अहिंसा के बिरवे उगाएँ।
</poem>