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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
इशरत-ए-कतराक़तरा<ref>बूंद का ऐश्वर्य</ref> है दरिया में फ़ना<ref>विलीन</ref> हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
तुझसे है क़िस्मत में मेरी सूरत-ए-कुफ़्ल-ए-अबजद<ref>ताले के सदृश</ref>
था लिखा बात के बनते ही जुदा हो जाना
दिल हुआ कशमकशे-चारा-ए-ज़हमत<ref>दुःख के उपचार की चेष्टा</ref> में तमाम
मिट गया घिसने में इस उक़्दाउक़्दे<ref>गाँठ</ref> का वा हो जाना<ref>खुलना</ref>
अब ज़फ़ा से भी हैं महरूम<ref>वंचित</ref> हम, अल्लाह-अल्लाह!
ताकि मुझ पर खुले ऐजाज़े-हवाए-सैक़ल<ref>क़लई की वायु का रहस्य</ref>
देख बरसात से में सब्ज़ आईने का हो जाना
बख्शे है जलवा-ए-गुल ज़ौफज़ौक<ref>आनंद</ref>-ए-तमाशा, गालिबचश्म <ref>आँख</ref> को चाहिए हर रंग में वा <ref>खुलना</ref> हो जाना</poem>
{{KKMeaning}}
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