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इसी नये शहर की पुरानी एक गली में
रहती है, बुधिया की बहू, बूंद बुंदू की बीवी
दो बेटियों की मां
एक बेटे की लालसा लिए
करोड़ों जादुई रंगों के जाल
लहराती है काले बाल
बूंद बुंदू की बीवी नहीं जानती
क्यों नाचती है भूख की डायन
उसके आंगन में