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Kavita Kosh से
इसी नये शहर की पुरानी एक गली में
रहती है, बुधिया की बहू, बूंद बुंदू की बीवी
दो बेटियों की मां
एक बेटे की लालसा लिए
करोड़ों जादुई रंगों के जाल
लहराती है काले बाल
क्यों नाचती है भूख की डायन
उसके आंगन में