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पर उसे तो ज़िस्म वाले सब इशारे आ गए
आंसुओं आँसुओं से सींची है, शायद ज़मीं ने फ़स्ल येक्या ताज्जुब तअज्जुब पेड़ पर ये फल जो खारे आ गए
हमको भी अपनी मुहब्बत पर हुआ तब ही यकीं
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