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न हों तो एक प्‍यार भरी नजर
हम मॉं माँ की आंख आँख के सूखे हुए आँसू
हम पिता के सपनों के उड़े हुए रंग
हम बहन की राखी के टूटे हुए धागे
<br />कई महीने बीत गये<br />गएट्रेन में लटककर यहॉं आये<br />यहाँ आएबिछुड़े अपने गॉंव गाँव से<br /><br />लेकिन आज भी<br />जब सड़क के कंधे से टिककर<br />भूखे-प्‍यासे सो जाते हैं हम<br />घुटनों को पेट में मोड़े<br /><br />तब हजारों हज़ारों मील दूर से<br />हमें देखती है<br />गॉंव गाँव की आंख.आँख।<br /poem>
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