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सेब बेचना / रघुवीर सहाय

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|रचनाकार=रघुवीर सहाय |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुवीर सहाय
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मैंने कहा डपटकर
 
ये सेब दागी हैं
 
नहीं नहीं साहब जी
 
उसने कहा होता
 
आप निश्चिंत रहें
 तभी उसे खांसी खाँसी का दौरा पड़ गया उसका सीना थामे खांसी खाँसी यही कहने लगी ।</poem>
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