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बेपरदा / नन्दल हितैषी
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20:27, 1 मई 2010
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|रचनाकार=नन्दल हितैषी
|संग्रह=बेहतर आदमी के लिए / नन्दल हितैषी
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poem
Poem
>
जब भी आता है, पतझर
बेपरदा कर देता है
अनिल जनविजय
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