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|रचनाकार=कमलेश भट्ट 'कमल'
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[[Category:गज़ल]]
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बेशक छोटे हों लेकिन धरती का हिस्सा हम भी हैं
अपने मन के वृंदावन के छोटे कान्हा हम भी हैं।
 
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