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बेशक छोटे हों लेकिन / कमलेश भट्ट 'कमल'
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05:08, 4 मई 2010
|रचनाकार=कमलेश भट्ट 'कमल'
}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>
बेशक छोटे हों लेकिन धरती का हिस्सा हम भी हैं
अपने मन के वृंदावन के छोटे कान्हा हम भी हैं।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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