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Kavita Kosh से
:फूलों में फैला आऊँ?
अपने ही सुख में खिल-खिल
उठते ये लधुलघु-लहरों-से,
अलि! नाच-नाच इनके संग
इनमें ही मिल-मिल जाऊँ?