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सो गई है मनुजता की संवेदना / जगदीश व्योम
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03:16, 14 मई 2010
राजमहलों
के कालीन
की
कोख
कालीनों
में
खो गया
कितनी रंभाओं का वह कुंआरा रुदन
कितनी रंभाओं का है कुंआरा स्र्दन
देह की हाट में भूख की त्रासदी
डा० जगदीश व्योम
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