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इने-गिने टप्पर चार
दुरसिंग के फल्या <ref>सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में बेतरतीब बसे छोटे-छोटे गाँव फळ्या (फल्या) या फलिये कहलाते हैं। इन फल्यों में आमतौर पर एक ही कुनबे के लोग रहते हैं और फल्या को उसके मुखिया के नाम से ही पुकारा जाता है। कई फल्यों में तो बमुश्किल दो-चार घर ही होते हैं। जंगल-पहाड़ियों में कहीं भी अपने टापरे बनाकर जीवन-यापन करने वाली इन अनुसूचित जनजातियों की अपनी परम्परागत संस्कृति और जीवन शैली होती है।</ref> में
उकताए हुए इन जंगलों की
ऊँची-नीची लहरदार बयड़ियों पर
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क्या आपने भगोरिया* <ref>भगोरिया - प्रमुख आदिवासी त्यौहार जो होली के पहले मनाया जाता है।</ref> के दिनों में
दुरसिंग के फल्या को देखा है!
पुरी लींबुड़ी नो फल मति खाय वऽ
:::लींबुड़ी मुरे आवली। ’
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