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छात्र जीवन में हम कुछ दोस्त अक्सर फ़िल्म ‘चेतना’ का यह गीत मिलकर गाया करते थे- ‘मैं तो हर मोड़ पर / तुझको दूँगा सदा / मेरी आवाज़ को / दर्द के साज़ को / तू सुने ना सुने ! तब मैंने कहा था- अगर मैं कभी मुम्बई गया तो इसके गीतकार से ज़रूर मिलूँगा। बारह साल पहले एक मुशायरे में मैंने नक़्श साहब की सदारत में कविता पाठ किया।उन्होंने बताया- पाँच टुकड़े में बंटी हुई इस धुन पर गीत लिखने में उन्हें सिर्फ़ 10 मिनट लगे थ।वे मुझे फ़िल्म राइटर्स एसोसिएशन में लाए।उम्र के फ़ासले को भूलकर हमेशा दोस्ताना लहजे में बात की।आज नक़्श साहब 82 साल के हो चुके हैं। उनका मन बच्चे की तरह निर्मल और शख़्सियत आइने की तरह साफ़ है।22 अप्रैल 2004 को अपना काव्यसंकलन ‘तेरी गली की तरफ़’ भेंट करते हुए उन्होंने कहा- अगले महीने मेरे एक दोस्त इस किताब का रिलीज़ फंकशन आयोजित कर रहे हैं।अगले महीने उनके दोस्त गुज़र गए।‘तेरी गली की तरफ़’ का लोकार्पण आज तक नहीं हुआ।
 
'''सम्पर्क''' : नक़्श लायलपुरी, बी-401,वैभव पैलेस,ओशिवारा,न्यू लिंक रोड,जोगेश्वरी (पश्चिम),मुम्बई-400 102, फोन : 098213-40406 / 022-2636 5218
 
'''--देवमणि पाण्डेय'''
 
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