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आज सुबह है कि एक प्रतिज्ञा है / लाल्टू
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07:06, 24 मई 2010
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Poem
poem
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आज सुबह है कि एक प्रतिज्ञा है
दिनों की सालों की जकड़न फेंक रहा हूँ
अनिल जनविजय
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