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आजीवन / लाल्टू

41 bytes added, 07:07, 24 मई 2010
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}{{KKCatKavita‎}}<poem>'''1.''' 
फिर मिले
फिर किया वादा
फिर मिलेंगे।
'''2.'''
बहुत दूर
इतनी दूर से नहीं कह सकते
वह दूरी
सही सही जिसमें कही जाएँगी बातें
</poem>
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