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|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}<poem>'''1'''इशरत-१<br>इशरत!<br>सुबह अंधेरे अँधेरे सडक की नसों ने आग उगली<br>तू क्या कर रही थी पगली!<br>लाखों दिलों की धडकनें बनेगी तू<br>इतना प्यार तेरे लिए बरसेगा<br>प्यार की बाढ में डूबेगी तू<br>यह जान ही होगी चली!<br>सो जा<br>अब सो जा पगली।<br><br>
'''इशरत-२<br>इंतजार है गर्मी कम होगी<br>बारिश होगी<br>हवाएँ चलेंगी<br><br>2'''
'''3.''' एक साथ चलती हैं कई सडकें।सडकें ढोती हैं कहानियाँ ।कहानियों में कई दुख ।दुखों का स्नायुतंत्रा ।दुखों की आकाशगंगाप्रवहमान। इतने दुःख कैसे समेंटूँ<br>सफेद पन्ने फर फर उडते।<br>उडते ।स्याही फैल जाती है <br>
शब्द नहीं उगते। इशरत रे!
</poem>