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{{KKCatKavita‎}}<poem>एक दिन में कितने दुःख मुझे सहला सकते हैं
मैं शहर के व्यस्त चौराहे पर देखता हूँ
अदृश्य मानव संतान खेल रहे हैं
चलता हूँ निस्तब्ध रात को सड़क पर
कवि का जीवन जीते
बहुत सारे दुःखों को साथ ले जाते हुए।</poem>
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