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09:46, 28 मई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
तुमने इल्म आजमाया और मुस्कुराये
तुमने नेजा उठाया और मुस्कुराये
तुमने यकीन भुनाया और मुस्कुराये
तुमने पैसा गिनाया और मुस्कुराये
यह एक कला हुई बस
कभी मुहब्बत भी करते प्यारे!