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09:54, 28 मई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
सुबह-सुबह
एक बच्चा बेच आया घरो-घर
ढेर से अखबार
सुबह-सुबह
एक बच्चा देख आया बागीचों में
हँसते हुए सुर्ख गुलाब
सुबह-सुबह
एक बच्चा दौड़ आया
मैदान में ताकत भर तेज
सुबह-सुबह
एक बच्चा कर आया दर्ज चेतावनी
टी.वी. पर नाटो के विरूद्ध
सुबह-सुबह जागा जग कई बरस बाद