भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है हैं प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२
जो लौट के घर न आये -२
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपनेअपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी