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|रचनाकार=किशोर कुमार खोरेन्द्र
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अनुराग से भरी होगी शिकायत
दूर क्यों मुझसे रहते हो
जब नजदीक हैं हम
फिर लौट आया प्यार का मौसम

रजनीगन्धा सी महकेगी रात
जब मुझे आयेगी उसकी याद
चाँदनी को बुलाकर वह पूछेगी
सचमुच करते हैं क्या वे मेरा इंतज़ार
जान कर सच
तब बढ़ जायेगी उसके ह्रदय की धड़कन
फिर लौट आया प्यार का मौसम

एक धुन गूँजती रहेगी
मन की अकुलाहट बाँसुरी सी बजती रहेगी
बार-बार दुहराएंगे .........
सात जन्मों तक न अब बिछड़ेंगे हम
फिर लौट आया प्यार का मौसम
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