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आँसू / जयशंकर प्रसाद / पृष्ठ ६

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देखा बौने जलनिधि का<br />
शशि छूने की को ललचाना<br />
वह हाहाकार मचाना<br />
फिर उठ-उठकर गिर जाना।<br />
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