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मेरी जमीन / विष्णु नागर

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मैंने समझा कि यह मेरी जमीन है
जबकि वह मेरा दलदल था
मैं उसमें धँसता जा रहा था
जिसका अर्थ मैंने यह समझा
कि मैं जमीन से जुड़ता जा रहा हूँ
अब मुझे जनता से कोई अलग नहीं कर सकता!
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