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रक्त के प्यासे!
भूत प्रेत ये मनो भूमि के
सदियों से पाले पोसे
अँधियाली लालसा गुहा में
ऊर्ध्व मनुज ये नहीं, अधोमुख,
उलटे जिनके जीवना जीवन मान,
अंधकार खींचता इन्हें है
गाता रुधिर प्रलय के गान!
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