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07:31, 5 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मदन कश्यप
|संग्रह= नीम रोशनी में / मदन कश्यप
}}
<poem>
झूठ के पास है सबसे सुंदर परिधान
कीमती आभूषणों से लदा है झूठ
झूठ की अदाएँ सबसे मारक हैं
उसके इशारे पर नाच रही है दुनिया
चारों ओर बज रहा है झूठ का डंका
सोने की जल गई
पर आबाद है झूठ की लंका
झूठ के हवाले ट्राय का किला
झूठ के हवाले नील का पानी
हड़प्पा की मुद्राएं
बेबीलोन का वैभव
फारस की बादषाहत
इब्राहिम की तदबीर
जरथुस्त्र का चिंतन
बुद्ध की करूणा
कन्फ्यूसियस का दर्षन
कलिंग का युद्ध
संयोगिता की प्रेमलीला
पानीपत की पराजय
पलासी का षड्यंत्र
सब झूठ के हवाले
सच पराजित तो होता रहा है
मगर इतना हताश पहले कभी नहीं दिखा!