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07:37, 5 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मदन कश्यप
|संग्रह= नीम रोशनी में / मदन कश्यप
}}
<poem>
किसी न किसी सच पर ही
टिकी होती हैं कहावतें
परंतु एक बार जब वे चल जाती हैं
तो सच्चाई बिल्कुल ओझल हो जाती है
फिर कहावतों को सच मानकर
सच को नकारने लगते हैं हम
हंस दूध का दूध और पानी का पानी नहीं करता
करता यह है कि सारा दूध पी जाता है
और छोड़ देता है पानी!