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उधेड़-बुन / मुकेश मानस
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10:56, 6 जून 2010
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''उधेड़-बुन'''
ये कैसा नरक है
जिसमें हम जी रहे हैं
जो बार-बार आता है
'''
रचनाका
रचनाकाल
:1990'''
<poem>
Mukeshmanas
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