Changes

{{KKGlobal}}गंध परिसर{{KKRachna|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव यह जो गंध है |संग्रह= समय की तितली है}} जो त्रिकाल मार्गों से उड़ती हुईयुग-पौधों पर खिलेअनगिनत शताब्दी-पुष्पों सेमीठी-कड़वी घटनाओं का रस चूसती हुई इतिहास-उपवन में असीम जीवन को गुलजार करती हैऔर पुराण-पात्रों में रस सहेजकर ज्ञानेन्द्रियाँ तुष्ट करती है.{{KKCatKavita}}<poem>गंध एक यात्रा है
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
अजीवित देहों की
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी.
तीर्थयात्रा भी है गंध
सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
गंध,
सुखद भटकन की चाह में
कल्पना कदमों से विचरते हुए
एक दार्शनिक यात्रा है
गंध एक आनुभविक यात्रा है.</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,379
edits