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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'

11 bytes added, 13:43, 9 जून 2010
वर्षा की प्रतीक्षा में
पैड़-पौधे भी।
 
पीने लगा है
धरती का भी पानी
प्यासा सूरज।
 
निकली नहीं
कन्जूस बादलों से
एक भी बूँद ।
 
तरस गये
सावन-भादौ ।
 कहो तो सही मन प्राणो से तुम वक्त सुनेगा,  
प्रीत हाँ प्रीत दुनिया में सुख की एक ही रीत,
आप से मिले तो लगा क्या मिलना किसी और से