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22:14, 10 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
कुछ आस की बातें करें|
विशवास की बातें करें|
आ इस समंदर से मिलें,
फिर प्यास की बातें करें|
सिलसिले गुम हो गये,
इतिहास की बातें करें |
लफ्ज़ मानो खो चुके,
एहसास की बातें करें |</poem>